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दिल्ली मेंजबरन ननष्काषन के खिलाफ स्टेटमेंट नई दिल्ली, 13 सितंबर 2020

दिल्ली मेंजबरन ननष्काषन के खिलाफ स्टेटमेंट नई दिल्ली, 11 सितंबर 2020 


दिल्ली में जबरन निष्काषन के खिलाफ स्टेटमेंट
नई दिल्ली, 11 सितंबर 2020

हम, अधोहस्ताक्षरी नागरिक, संगठन और आन्दोलन, आज सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह करते हुए लिखते हैं कि वह 31.08.2020 के एम.सी. मेहता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एंड अदर्स (रिट याचिका संख्या 13029/1985) में दिये गए अपने आदेश पर पुनः विचार करे। यह आदेश दिल्ली में रेलवे भूमि पर लंबे समय से स्थापित समुदायों के जबरन निष्कासन की मांग करता है। शहर में कचरा प्रबंधन पर एक लंबे समय से चल रही जनहित याचिका (PIL) में पारित, इस आदेश का लगभग 50,000 घरों के जीवन, आजीविका, गरिमा और अधिकारों पर विनाशकारी परिणाम होंगे। यह ऐसे समय में आता है जब शहर बमुश्किल कोविड–19 महामारी के प्रकोप से जूझ रहा है और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को ऐसे स्वास्थ्य जोखिमों पर ले जायेगा जो उनके घरों, संपत्तियों और आजीविका के ऊपर खतरे को बढ़ा देंगे।

यह आदेश दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डी.यू.एस.आई.बी) नीति (2015) के तहत निवासियों के लिए राहत और पुनर्वास संबंधित नीतिगत सुरक्षा को संबोधित नहीं करता है। साथ ही अजय माकन बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (2019) में दिल्ली उच्च न्यायालय के निष्कर्ष  पर विचार नहीं किया गया है। इस निर्णय में स्पष्ट किया गया है कि डीयूएसआईबी (DUSIB) नीति (पर्याप्त सूचना और स्पष्ट पुनर्वास व्यवस्था सहित पुनर्स्थापन / जबरन बेदखली के मामलों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया) रेलवे की भूमि पर बस्तियों के लिए विशेष रूप से और पूरी तरह से लागू होती है। अजय माकन, और दिल्ली के उच्च न्यायालय के पिछले निर्णयों जैसे सुदामा सिंह बनाम दिल्ली सरकार के बिना सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, यह चिंता का विषय है कि किसी भी प्रभावित निवासी या समुदाय को इस मामले की जानकारी नहीं थी, और न्यायालय में उनकी सुनवाई हुई ही नहीं है। इसी तरह, दिल्ली सरकार और डीयूएसआईबी, जिनकी नीतियां इन समुदायों को संचालित करती हैं, की भी सुनवाई नहीं की गई है। जिन समुदायों ने पहले अपने अधिकारों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी है, और अदालत द्वारा उन्हें जबरन निष्कान से राहत मिली हुई थी, इस आदेश ने उन दी गई राहतों को भी ख़ारिज कर दिया गया है।  

इन समुदायों के निवासी मज़दूर हैं, आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार हैं, और कई एस.सी. / एस.टी. समुदायों के सदस्य हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जो हमारे शहर को साफ रखने, कचरे का प्रबंधन करने और शहर की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए श्रम करते हैं, जिससे विशाल पारिस्थितिक और आर्थिक मूल्य पैदा होते हैं। यह विडंबना है कि कचरा प्रबंधन की आड़ में उनके ही घरों पर खतरा मंडरा रहा है जब बस्तियां कभी भी मूल याचिका का हिस्सा नहीं थीं। कोविड–19 महामारी के समय के दौरान निष्कान निवासियों को संक्रमण के जोखिम में डालता है। यह गैर-जिम्मेदार और अनैतिक क़दम है। यह विशेष रूप से तब जबकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम लागू हैं, जो स्वास्थ्य और अन्य जोखिमों से समुदायों की सुरक्षा के लिए राज्य के सकारात्मक दायित्व पर ज़ोर देते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने महामारी के दौरान जबरन निष्कासन पर रोक लगाने का भी आह्वान किया है, जिसमें कहा गया है कि इस समय बेघर होने से किसी की जान भी जा सकती है।

इसलिए, हम मांग करते हैं:

 

  1. कि सर्वोच्च न्यायालय रेलवे सुरक्षा क्षेत्र के भीतर जबरन बेदखली के लिए तीन महीने की समय सीमा के प्रावधान में विशेष रूप से अपने आदेश पर पुनर्विचार और संशोधन करे।
  2.     कि दिल्ली सरकार और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास और पुनर्वास नीति (2015) को लागू करने के लिए अपनी ज़िम्मेदारी को स्वीकार करे, और अजय माकन और सुदामा सिंह निर्णयों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हों।
  3. कि संयुक्त राष्ट्र के मूल सिद्धांत और विकास आधारित विस्थापन पर दिशानिर्देश, जो उपरोक्त दोनों निर्णयों में उद्धृत हैंउनका सभी प्रभावित व्यक्तियों के लिए एक व्यापक भागीदारी पुनर्वास योजना विकसित करने के लिए आदेश के साथ अनुपालन हो।
  4.  कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के सभी विधान सभा और संसद के निर्वाचित सदस्य सार्वजनिक रूप से अपना कर्तव्य निभाएँ और इस शहर के सभी निवासियों के अधिकारों की रक्षा करें।
  5.     कि  कोविड–19 महामारी के दौरान कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जायेगी जब तक कि एनडीएमए और महामारी अधिनियम लागू है।
  6.      रेलवे जबरन बेदखली के बिना सुरक्षा क्षेत्र के भीतर खतरों को स्वेच्छा से हटने के लिए समुदायों के साथ काम करने के लिए एक कार्यक्रम स्थापित करे।
  7.    कि सरकार और विभिन्न एजेंसियां ​​कचरे के निपटान के वास्तविक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ आयें और एक ऐसी कार्ययोजना बनाएँ जिसमें उन हजारों लोगों का जबरन निष्कासन शामिल नहीं हो।

जबरन निष्कासन ऐसा झटका है जिससे इस शहर के कामकाजी परिवार उबर नहीं पाएंगे। हम सभी नागरिकों से इस आदेश के खिलाफ एकजुट होने का आग्रह करते हैं जो मानव अधिकारों और संवैधानिक सुरक्षा का उल्लंघन करता है, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और समझौतों का उल्लंघन करता है, और हर उस वादों से धोखा है जो इस शहर के नागरिकों के रूप में हम एक-दूसरे से करते हैं।

List of signatories below.


SIGNATORIES AS OF 13.8.2020 


 o Railway Basti Jan Sangharsh Morcha 

o Delhi Housing Rights Taskforce 

o Centre for Advocacy and Research (CFAR) 

o National Alliance of People’s Movements (NAPM) 

o Housing and Land Rights Network (HLRN) 

o National Coalition for Inclusive and Sustainable Urbanisation 

o Slum Jagatthu, Karnataka 

o Madhya Pradesh Navnirmaan Manch

 o Alliance on Land, Livelihood & Housing 

o Youth for Unity and Voluntary Action (YUVA) 

o Working People’s Charter 

o Rashtriya Awas Adhikar Abhiyan 

o Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS) 

o National Campaign for Dalit Human Rights (NCDHR) 

o Social Accountability Forum for Action and Research 

o CityMakers Mission International 

o Forum Against Corruption and Threats 

o Delhi Rozi Roti Abhiyan 

o Satark Nagrik Sanghathan 

o Centre for Promoting Democracy 

o SEWA, Delhi 

o Campaign for Judicial Accountability and Reform (CJAR)

 o Main Bhi Dilli Campaign 

o Hawkers Joint Action Committee 

o M Ward Convenor Forum 

o Divya charitable trust, Gujarat 

o Baljeet Nagar F-Block Resident Welfare Association 

o Peeli Kothi Pul Mithai Rehdi Patri Association 

o Bal Vikas Dhara 

o Mahila Pragati Manch o Footpath Vikreta Ekta Manch (FVEM) 

o Gurgaon ki Awaaz Samudayik Radio

 o Gurgaon Nagrik Ekta Manch 

o Gurgaon Water Forum 

o Jagori, Delhi 

o Nari Ekta Shakti Sanghathan 

o Koshish, TISS 

o Prasar 

o ANHAD ( Act Now for Harmony and Democracy) 

o AIPWA ( All India Progressive Women's Association) 

o NINEISMINE 

o Right to Food Campaign 

o Bebaak Collective 

o All India Kisan Sabha o AIFRTE ( All India Forum for Right to Education) 

o Maadhyam 

o PAIGAM (People's Association in Grassroots Action and Movement) 

o Mazdoor Pahal 

o Mayapuri B Block Railway Line Basti Welfare Union 

o Safdarjung T-Huts Basti Welfare Union 

o O-Zone Mukti Sangharsh Samiti 

o Workers Dhaba- Wazirpur Mazdoor Samuh

o Delhi Forum 

o All India Confederation of Slum And Land Rights Movement

o DHURI - Buikding Sustainable Livelihoods 

o SANG - A Youth Collective 

o PUDR - People's Union for Democractic Rights 

o DASAM - Dalit Adivasi Shakti Adhikar Manch 

Residents of: 

o Sansi Camp 

o Harkesh Nagar 

o Indira Camp CRRI Mathura Road 

o B-45, New Sanjay Camp Okhla Ph- 1 

o Sanjay Camp Okhla Phase -1 

o Gram Kheda

 o Lalbagh Jhuggi 

o D-Block Seema Puri 

o Janta Mazdoor Colony 

o GP-Block Pitampura 

o Sunlight Colony,Seemapuri Old 

o AradakNagar 

o Chandarpuri 

o E39 Rajendra Prashad Colony 

o E 48 Old Seemapuri

o Gulshan Chowk Basti Bachao Sangharsh Samiti


Individual Endorsements 

o Hussain Indorewala, Asst. Professor, KRVIA

o Shweta Wagh, Associate Professor, KRVIA

o Nilesh Patil, Joint Secretary, BKS

o Nisha Kundar, Architect - Urban Designer



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